मन की रसोई


 



मन की रसोई में आज सबने खुद को मजबूती से सिद्ध किया है, एक से बढ़कर एक पकवान उपस्थित हुए ... लेकिन अनु श्री जी के कहने पर ब्लॉग के लिए एक मैं स्वयं को लेती हूं😊 पर अपनी तरफ से लेती हूँ शेफालिका श्रीवास्तव जी और बिन्दु त्रिपाठी जी की रचना को, लीजिये इनका स्वाद
जाड़े की बारिश
यादों की सिहरन
मन की रसोई में कुछ खट पट हुई
एक आवाज़ आई चाय
एक तरफ़ से कॉफ़ी की फरमाइश हुई
आदतन मैंने सोचा पकौड़े भी तल ही डालूँ
.... बचपन की केतली चढ़ाकर
काटने लगी हूँ स्मृतियों के कुछ प्याज
हरी मिर्च . . .
चेहरे पर आ गई मुस्कान के धनिये पत्ते से उसे भर दिया है,
प्याज की झांस से आंखों में उतरे पानी का खारापन मिलाया है
कुरकुरे दिनों की तरह पकौड़े और चाय,कॉफ़ी के साथ
बारिश की फुहारें चेहरे को छू गई हैं
एक मीठा सा गीत सुनने लगी हूँ
मन की रसोई झूम रही है...
रश्मि प्रभा


दिनाँक- ०८.१२.२१
विषय - मन की रसोई
लेखिका - शेफालिका श्रीवास्तव
मेथी की मुठिया

सर्दी का मौसम है आया
रंगबिरंगी सब्ज़ियाँ लाया
गाजर मटर मेथी पालक
ढेरों पत्ते की भाजी लाया
बच्चों की फ़रमाइश आयी
हमने मक्के की मुठिया बनाई
पहले हमने गाजर किस ली
साथ में देखो मटर भी पीसी
बारीक बारीक मेथी काटी
अब अदरक लहसन भी पीसी
मक्के के आटे में सब्ज़ी मिलाई
और मिलाया ..
चटपटा मसाला …
छोटी छोटी मुठिया बनाई
मुठिया को भाप में पकाईं
ठंडा कर दो पीस में काटी
हरी मिर्च ,तिल , राई
करी पत्ता संग
कढ़ाई में छौंक लगा दी
मेथी की मुठिया है तैयार
आओ बच्चों ,कर दो वार ..
खाने को हो जाओ तैयार
ख़ुश होकर सब बच्चे खाते
मन ही मन हम ख़ुशी मनाते !
मेथी मुठिया चट कर जाते !

शेफालिका श्रीवास्तव



स्मृतियों की केतली मे,
प्रीत की चीनी और मनुहार का दूध डाल
रख दिया यादों की अग्नि मे
रिश्तों की मीठी सी चाय को उबलने ।
साथ मे खट्टी-मीठी नोकझोंक के पकौड़े भी तले हैं ।
रुसवाई और बेवफाई की प्लेट मे,
करीने से सजा कर रख दिए हैं
अपनी वफाओं की चटपटी चटनी के साथ
आओ और चख कर देखो तो ज़रा
प्यार की चीनी और यादों की चायपत्ती से बनी
मेरी वफाओं की चाय चख कर तो देखो
बिल्कुल मेरी तरह है
रंग मे भी और स्वाद मे भी ।
झूठ और फरेब की कोई मिलावट नही है
तुम्हारी तरह ।

बिन्दु त्रिपाठी

तो
बधाई
हो आपदोनों को

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