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ज्ञान - उम्र से अलग

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    ज्ञान पाने की कोई उम्र नहीं होती है और इस सहज तथा गूढ़ सत्य को जानने के लिए जन्माष्टमी का दिन तो सर्वथा उपयुक्त है क्योंकि कृष्ण का जन्म स्वयं में ज्ञानोदय का प्रतीक है। नवजात कृष्ण की लीलाओं को  गोकुल, वृंदावन का मंच देने हेतु   मां देवकी का पुत्रत्याग तो पिता वासुदेव द्वारा सामयिक निर्देशों का पालन, पुत्र को नंदलाल का नाम देने के लिए मित्र नंद के घर की दिशा में प्रस्थान, प्रहरियों का सो जाना, कारावास के द्वारों का खुलना, उन्हें जाने के लिए यमुना का मार्ग बनना, विष्णु अवतार के दर्शनों का सौभाग्य सुख पाने के लिए शेषनाग का बाल कृष्ण को वर्षा से रक्षा के मिस छत्र बनकर छा जाना - सब ज्ञान प्राप्त करने के निमित्त ही बने पंथ हैं। प्रकृति का कोई भी अवयव ऐसा नहीं जो गुरु की भूमिका में नहीं उतरता और नटनागर पाठशाला की तो बात ही पृथक है, उसने तो गोकुल, ब्रज के वासियों को प्रेम  के ढाई अक्षरों का पाठ पढ़ाकर पंडित ही बना डाला। अलौकिक गुरु ही तो हैं श्रीकृष्ण जिन्होंने संपूर्ण विश्व को गीता का कालजयी दर्शन दिया है जिसकी सांदर्भिकता को शस्त्र नहीं काट सकता, अग्नि जला नहीं सकती, जल नहीं गला सकता

गुरु वह,जो आपको सही राह दिखाए

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  मैंने   जब   अ ' से  अ नार कहा  तब मेरी पहली पाठशाला मेरी माँ  बहुत खुश हुई  अ क्षर  अ क्षर उसने  अ पनी कोशिशों से  मुझे शब्दों से भर दिया ।  एक दिन  जब  पानी की बूंदें मेरे चेहरे पर पड़ीं  मेरे चेहरे पर मुस्कान उभरी  उसने कागज़ कलम देकर कहा - 'लिखो,क्या  अ नुभूति हुई' मैं श्रेष्ठ शब्द भाव तलाशने लगी  जो उसके चेहरे पर मुस्कान ला दे  और मेरी और उसकी  अ नुभूतियों की दोस्ती हो जाए ! मैं लिखती गई  अ च्छा-बुरा सबकुछ  वह पढ़ती  कुछ काट-छाँट करती  और मैं उस दिन के इंतज़ार में लिखती रही  जब  वह काट-छाँट न कर पाये ! .....  मेरी गुरु मेरी माँ रहीं और गुरु दक्षिणा में मैंने उनको अपनी भावनाएं दीं, जिसे पढ़ते हुए उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, "तुम्हारा लिखा पढ़ते हुए लगा कि मैंने लिखा है"  गुरु वह,जो आपको सही राह दिखाए और उस राह को आत्मसात कर हम गुरु को सम्मान दे सकें । सम्मान देने के लिए,गुरु के लिए कुछ कहने के लिए हमने शिक्षक दिवस चुना, इस दिन को सार्थक बनाएं और किसी भी विधा में हमें लिखकर भेजें और प्रतियोगिता में शामिल हो जाएं । रचना भेजने की अंतिम तिथि 3 सितम्बर 2021  aarambha

5 सितम्बर - शिक्षक दिवस

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 5 सितंबर शिक्षक दिवस है। गुरु ब्रह्म ,गुरु विष्णु ... अपनी श्रद्धेय भावनाओं के साथ गुरु के लिए कुछ लिखिए ताकि एक उचित आरम्भ हो सके । कृपया अपनी रचनाएंँ Aarmbhanushree576@gmail.com और rasprabha@gmail.com पर भेजें, नाम,तस्वीर के साथ । आरम्भ चैरिटेबल फाउंडेशन, हिन्दी साहित्य सम्मेलन/प्रतियोगिताओं का आगाज़ करता है ।  यह होगा एक मंच - जहांँ आप अपनी कलम को गुरु बना सकते । निःसंदेह, चयन में आरम्भ गुरु की भूमिका निभाएगा, क्रमशः हर विषय एक प्रतियोगिता होगी । आरम्भ तीन प्रतियोगियों का चयन करेगा और उन्हें  प्रथम,द्वितीय,तृतीय की श्रेणी में सर्टिफिकेट का सम्मान देगा ।  साहित्य का खुला मंच "  देश-विदेश से "आरंभ -अनुश्री ब्लॉग" साहित्यकारों को आमंत्रित करता है, खुलकर इस ब्लॉग का हिस्सा बनें और इस मंच को गौरवान्वित करें । अनुपमा अनुश्री अध्यक्ष आरम्भ चैरिटेबल फाउंडेशन

आरंभ - दूर तलक अनंत ❤️

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मानसिक संशोधन, सामाजिक सरोकार, साहित्यिक गतिविधियांँ