गुरु
जन्म देते समय मां की आंखों से बहने वाले आंसू इंसान के जीवन का पहला गुरुमंत्र हैं ; मां के उर से मिली गरमी, पिता के बाजुओं के सुरक्षा कवच में प्रथम गुरुकुल के अक्षरों, गिनतियों और पहाड़ों के पदचिह्नों का नमक भरा होता है जो हमें ईश्वर और गुरुकुल के प्रति विनम्र और कृतज्ञ होने की सीख देता है और वो सुंदर सीख नीलम प्रभा के मानस की कलम से उतर, कबीर के भावसरोवर के जल से आचमन कर, गुरु चरणों में नत होकर कहती है - हरि रूठें तो रूठें द्वार गुरु के न बंद हों ऐसा दानी जिसका न सानी गाथा इसकी निर्बंध हो, द्वार गुरु के ... सब बनराई काग़ज़ करूं मैं मसि हरि के सब समंद हों, द्वार गुरु के ... इन विशेष पंक्तियों के साथ हम आज का विशेष कार्यक्रम शुरू करेंगे । तब तक सूर्योदय के समय इस लिंक पर आप यह गीत सुनें https://www.youtube.com/watch? v=rZjq1LuthQw
एक जीवंत आरम्भ
जवाब देंहटाएंयकीनन, आभार साधुवाद 🤝❤️🙏
हटाएंगुरी ही वह श्रेष्ठ कुम्भकार है, जो एक अनगढ़ पत्थर को लग्न से तराशता है उसे एक बेशकीमती हीरा बना देता है।आरंभ पटल भी ऐसा गुरु है।जो नित नए पत्थरों को खोज कर हीरे में परिवर्तित कर रहा है और देश को साहित्य से समृद्ध कर रहा है
जवाब देंहटाएंसाधना मिश्रा लखनवी