आज का चित्र


 



जीवन को अर्थ देता आज का चित्र और शानदार भावाभिव्यक्ति के मध्य से दो रचनाएँ मेरी नज़र से - निरुपमा खरे जी
और उषा चतुर्वेदी जी - रश्मि प्रभा

कैसा ये अंधेर है
राह अंधेरी
और खेत पर प्रकाश भरपूर है
अज्ञान का अंधेरा है
या बुद्धि की हेर-फेर है
क्या डिग्री पाकर हो जाते
हम ज्ञानवान हैं
या अनपढ़ भी क‌ई मायनों में
ज्यादा बुद्धिमान है
समझ से परे
ये क्या गोल -माल है
ये कैसा विकास है
सब एक से बढ़कर एक
गुरु घंटाल हैं
सीधे को उल्टा
और उल्टे को सीधा
बनाने की चलते
ये चाल हैं

_ निरुपमा खरे


श्रीमती उषा चतुर्वेदी भोपाल

मेरा प्यारा विकसित गाँव
लगता है मुझको न्यारा गॉव
आपस में हैं भाई चारा
होय समस्या का निपटारा
दूर तलक हरियाली फैली
नहरों का तो जाल बिछा है
लम्बी सड़कें और सपाट
जोड़ें गाँव शहर के साथ
सूर्य ऊर्जा का उपयोग
विद्युत बचत का दे संदेश
लघु उद्योग गाँव में चलते
भारत का विकास दिखलाते
बन रही मिल और कारखाने
बंजर भूमि का उपयोग
सांझ ढले होता अँधियारा
पर गाँव सड़क पर है उजियारा
मेरा सुन्दर प्यारा गाँव
लगता मुझको न्यारा गांव

श्रीमती उषा चतुर्वेदी भोपाल

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