2021 पर कम पोस्ट आये, जो आये उसमें सबसे प्रभावशाली जो दो रचना मुझे लगी वह क्रम से बिन्दु त्रिपाठी जी और निरुपमा खरे जी की है - *याद तो आओगे* नव वर्ष के रूप मे गत वर्ष किया था स्वागत । कतरा कतरा बीत गए तुम, कुछ खुशियाँ कुछ दे कर ग़म । पहले से ही जूझ रहे थे, इक वैश्विक महामारी से । सोचा था कुछ राहत होगी, इसी लिए तो झोंक दिया था खुद को नववर्ष के स्वागत की तैयारी मे । पूजा पाठ और जप तप कर के ईश्वर का आव्हान किया । किंचित प्रभु ने सुना और फिर वैक्सीन ईजाद हुई । नव वर्ष का मिला उपहार और विपदा भी कुछ कम तो हुई पर , ।कितने अपने ही लोगों को हमने अब तक खोया है लेकिन कुछ पाया भी हमने गत वर्ष की झोली से । आजादी का खूब मनाया हम सब ने अमृत महोत्सव वैक्सीन के मुफ्त डोज से, हुए बहुत जन आज सुरक्षित । ओलंपिक के मैदानों से, पदक भी खूब बटोरे । नयी शिक्षा नीति भी अपने उपहारों के खाते मे आई । अन्न दाता भी हुआ सुरक्षित, कृषक कानून जब आए । ईश्वर से है यही प्रार्थना आने वाला नव वर्ष भी खुशियाँ ले कर आए । बिन्दु त्रिपाठी भोपाल लो बीत चला एक और साल देकर खट्टी-मीठी यादें बेशुमार कल ही तो दीवारों पर सजे थे नए
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