जीवन ज्ञान


  मेरे लिए मेरी मां से बड़ी शिक्षक कोई दूसरा नहीं है, क्योंकि शिक्षक से बड़ा कोई नहीं ये भी मां ने ही सिखाया है। इसलिए शिक्षक दिवस पर कविता जो एक सच्चे शिक्षक को समर्पित है, भेज रही हूं।



जब अजन्मी थी,
जाना था तुमसे मैंने,
किसी भी रूप में आऊंगी,
तुम्हारा ममत्व भरपूर पाऊंगी।
याद है मुझे एक बार सर ने मुझे,
क्लास में डांटा था, 
तुमने ही तो सिखाया था,
शिक्षक का स्थान सबसे पहले है,
भगवान से भी पहले, उनकी सुनो।
जब समझ आया लड़की हूं,
तुमने ही सिखलाया था, मान संभालना।
स्वाभिमान के साथ जीना।
ब्याह के समय भी तुमने ही तो,
ये सिखाया था, 
ये घर तो तुम्हारा अपना है,
उस घर को अपनाना है।
आज भी जब तुम साथ नहीं हो,
तुमसे ही सिखती हूं, 
तुमने जैसे विषम परिस्थितियों में सब संभाला,
मुझे भी संभालना है, अपने को, अपनों को -
अपनी सम-विषम परिस्थितियों को।
पता है मुझे, तुम मेरी वो गुरु हो जिसने,
मुझे किताबी ज्ञान के साथ-साथ,
जीवन ज्ञान भी दिया है।


स्नेह स्मिता (मीनू)

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गुरु

गुरु ब्रह्मा, विष्णु

2021