चमके भारत माँ का भाल
हिन्दी दिवस पर आज,
मिल करें तनिक विचार
क्यों? हिन्दी में आज हम,
नहीं करें व्यवहार।।
अंग्रेजी के पीछें भागें,
हिन्दी बगल में दाबे।
नहीं बनें तो बगलें झाँकें,
ठाड़े सबके आगे।।
हिन्दी अपनी जननी जैसी,
मातृभाषा कहलाये।
न होए अपमान कहीं भी,
न आये बहकाये।।
कामकाज हो सब हिन्दी में,
यही बने अब रीत।
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा,
नये गढ़े नित गीत।।
बनें सिनेमा हिन्दी में जो,
विख्यात होत परदेश।
फिर क्यों छोड़े अपनी हिन्दी,
हम अपने ही स्वदेश।।
हिन्दी के उत्थान में नित
बढ़ें कदम अब शान से।
साहित्य बने दर्पण सा,
हिन्दी रहे मैदान में।।
विश्व विजेता रहे सदा ही,
अपनी प्यारी हिन्दी।
करें जतन हर कोई,
बोलें सबसें हिन्दी।।
हिन्दी की बिंदी से चमके,
भारत माँ का भाल।
नहीं सहें अपमान कहीं भी,
रहे सदा ही यह भान।।
*******************
श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना साहित्यकार ( हिन्दी लेखिका संघ भोपाल मध्यप्रदेश)
सांईकृपा 41
गोमती कालोनी
नेहरु नगर भोपाल मध्यप्रदेश
पिन-462003
शानदार रचना आदरणीया श्यामा जी
जवाब देंहटाएं