*नई चेतना- नई सृष्टि....* विगत वर्ष की आपदा, विपदा विसंगतियों, त्रासदियों को, खूंटी पर टांँगकर भूल जाएंँ, नई उमंगों और सकारात्मकता से फिर बढ़ चलें, स्वागत करने नववर्ष का, आगाज करें नयी रोशन, मंजिलों तक पहुंचाने वाले संघर्ष का। पुरुषार्थ की डोर थाम जीवन को दें सही अर्थों में उड़ान, आगत हर लम्हे पर शुभ कर्मों का लें, प्रभु से वरदान । बीते सबक को रख साथ सर्वजन हिताय को, हृदय में प्रश्रय दें सिर्फ खुद को न उठाएंँ , इसको, उसको ,सबको आगे बढ़ाएंँ, एक साथ चलें, नई सोच ,नई दृष्टियुक्त समष्टि हितार्थ। लेकर हौसले, जुनून सच्चाई, ईमानदारी की, आब से रोशन करते चलें, सब की राहों में चिराग हर लम्हे पर लिख दें, अच्छाई की इबारत संवेदनाओं की जिल्द से बंधी हो, नए साल की नई किताब। ऐसा कुछ करें कि इंसान कहलाएंँ न भटके , न बिखरें श्रेष्ठ आचरण से मानस हंस बन चमकाएंँ इंसानियत का महताब। अनुपमा अनुश्री *चिरस्थाई तलाश* है तलाश, सूरज को , चंदा को, हरदम बहती नदिया को, मिले सुकून, पल भर को..... डूब कर भी सागर में, नहीं डूबता, सरे शाम उगता दूजे छोर अलस भोर क्षणांश को, नहीं सोता, सूरज हूँ, जलता ह...
बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति आरोही ऐसे ही कलम से समाज की प्रहरी बनी रहो। स्नेह आशीर्वाद✍️🥰🙌
जवाब देंहटाएंVery well written Aarohi 👍👏 well done..keep it up beta 😊👏
जवाब देंहटाएंWow❤️❤️
जवाब देंहटाएंBahoot shandar kavita 👍👍👍
जवाब देंहटाएंWell done Aarohi👏👏👏
Bahut hi sundar kavita.. keep it up👍👍
जवाब देंहटाएंBahoot sundar kavita 👍
जवाब देंहटाएंPyari kavita .. keep it up👍👍
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार
जवाब देंहटाएंसदैव अपने शिक्षकों को इसी स्नेह और सम्मान से याद रखो
शिक्षकों के प्रति अत्यंत भावपूर्ण काव्य रचना
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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