सिर्फ मर्तबान...


 



जरूरत है ,हर बच्चे को,
प्यार की ,प्यार से बात की
चाहे हो सामान्य
या हो विकलांग

उन्हें पंख दो और उन्हें उड़ने दो
तथाकथित अनुशासन के नाम पर
पंख नोच ना डालो
कतर ना डालो
कभी यह कर कभी वह
उनका दिल टूट जाए चाहें
पर अपना अहम टूटने ना पाए

दायरे बांधकर
बना दोगे तुम उसे
गिलास सा
या किसी मर्तबान सा

जाने वह क्या बन सकता था
शायद सागर आकाश
धरती या क्षितिज
सूरज सा चमक सकता था
चांद सा दमक सकता था
सितारों सा झिलमिला 
सकता था

पर तुमने अपने तथाकथित
अनुशासन में बांध
उसे बना दिया

सिर्फ मर्तबान
सिर्फ मर्तबान
सिर्फ मर्तबान
             "Adetti'
Madhuri Mishra "adetti"
Faridabad

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