पितृपक्ष


 

पितृपक्ष या पितरपख, १६ दिन की वह अवधि है, जिसमें हिन्दू लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं ।
   पितरों का स्मरण और उनके लिए श्रद्धा का दीया जलाना उन बुजुर्गों की यादों से, उनकी सीख से जोड़ता है, एक परम्परा की वसीयत बच्चों के नाम देता है । 
माना जाता है कि पितृपक्ष में हमारे अपनों की आत्मा हमारा सान्निध्य पाने के लिए हमारे पास होती है और हमारी भूलों को क्षमा करके आशीर्वाद देती है । हमारी श्रद्धा भावना के तर्पण का यह पक्ष होता है । 
माँ, पिता,दादा,दादी,नाना,नानी ... अपने से जुड़े लोगों की आत्मा की शांति और मुक्ति हेतु अपने उद्गार-पुष्पों का उन सबकी स्मृति की गंगा धारा में अर्पण कीजिये ।

20 सितम्बर को पितरों को भावनाओं का अर्पण हो, इसके लिए 20 से पहले अपनी रचना भेजें 

और ब्लॉग 
https://aarambhanushree.blogspot.com/ के मंच को त्रिवेणी बना लें 




टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पाजेब

सुबह

*आरंभ* लक्ष्य का,